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79.न मरि स्बर्ग देख्यो’र.....कस्ले


न मरि स्बर्ग देख्यो’र.....कस्ले
रोजेर भाग्य लेख्यो’र.....कस्ले

जन्मन्छ मान्छे बोकेरै....मृत्यू
काललाई थुनी, छेक्यो’र कस्ले

सरेरै बामे, सीक्ने हो....हिड्न
जन्मदै खुट्टा, टेक्यो’र.....कस्ले

सबै त बन्छन, हुदामा...साथी
पर्दा घाउ, सेक्यो’र.......कस्ले

आपत सबै, आफु नै...पहिला
पहाडै खस्दा, थेक्यो’र....कस्ले
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